प्रेस विज्ञप्ति
मीडिया कर्मियों की नौकरी, वेतन और बीमा सुरक्षा की गारंटी दे सरकार- एनयूजे (आई)
नई दिल्ली, 10 अप्रैल, 2020. पत्रकारिता व पत्रकारों की भूमिका किसी सामान्य नौकरी या कारोबार तक सीमित नहीं है बल्कि यह समाज सेवा के सबसे बड़े साधन के रूप में है। कोरोना वायरस महामारी के इस अभूतपूर्व संकट के समय मीडियाकर्मियों ने अपने-अपने घर में कैद पड़े लोगों तक गली- मुहल्ले से लेकर देश दुनिया की खबरें पहुँचाने में अपने आपको दिन रात लगा रखा है। मीडियाकर्मी आज लाकडाउन में फंसी जनता और बाहरी दुनिया के बीच सेतु का काम कर रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इस घड़ी में मीडिया कर्मियों के रोल की महत्ता को राष्ट्र के नाम अपने संदेश में विशेष रूप से रेखांकित कर चुके हैं।
कोविड-19 ने समाज के हर वर्ग की तरह मीडिया कर्मियों को भी प्रभावित किया है। उनमें बहुतों के सामने वेतन व नौकरी की अनिश्चितता उत्पन्न हो गई है।
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) ने केंद्र सरकार से मांग की है कि कोरोना के इस दौर में वे पत्रकारों की नौकरी सुनिश्चित करने के साथ उनके स्वास्थ्य बीमा के लिए योजनाओं की घोषणा करे! पत्रकारों की प्रमुख लोकतांत्रिक राष्ट्रीय संस्था नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया एनयूजे (आई) के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री मनोज मिश्र और महासचिव श्री सुरेश शर्मा ने एक बयान में कहा कि इस समय पत्रकारों की भूमिका महज एक नौकरी की नहीं बल्कि समाज सेवा के सबसे बड़े साधन के रूप में फिर सामने आयी है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को लिखे पत्र में मीडिया मे प्रकाशित/ प्रसारित कराए जाने वाले सरकारी विज्ञापन में कटौती की मांग की है जो आश्चर्यजनक व समझ से परे है। एनयूजे व इसकी सम्बद्ध सभी राज्य इकाइयां मानती हैं कि यह मांग किसी भी रूप में उचित नहीं है। इससे मीडिया क्षेत्र में मंदी और बेरोजगारी बढ़ेगी और पत्रकारिता का दायित्व समाज सेवा से विमुख हो जाएगा। पहले ही लॉकडाउन में व्यवसायिक क्षेत्र से राजस्व प्राप्ति घटने से पत्रकारों की छंटनी से पत्रकार जगत जूझ ही रहा है।
उन्होंने यह भी मांग की कि जिस तरह डॉक्टर, पारा मेडिकल स्टाफ, पुलिस और अन्य एजंसिया कोरोना को समाप्त करने की दिशा में कार्यरत हैं, उसमें पत्रकारों की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं की जा सकती। घर परिवार छोड़कर और 24 घंटे कॉरोना की रिपोर्टिंग करते हुए वे एक तरह से सरकार और जनता का समर्थन कर रहे हैं। लिहाजा केंद्र सरकार को पत्रकारों के लिए एक बीमा पॉलिसी घोषित करना चाहिए जिससे उनका परिवार सुरक्षित और संरक्षित रहे।
उन्होने कहा कि अभी एक मंदी जैसा दौर शुरू हो गया है। ऐसे हालात में कुछ मीडिया संस्थान अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर रहे हैं। हमारा मानना है कि पत्रकार समाज का ही एक अंग है और राष्ट्रीय आपदा, महामारी, संप्रदायिक दंगे में पत्रकारिता के पेशे में रहने वाले व्यक्ति भी इसे भली प्रकार निर्वहन करते हैं। लेकिन जब सभी लोग घरों के अंदर परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं तब ऐसी परिस्थिति में समाज के सामने सच्चाई लाने के लिए दिन रात काम करने वाले पत्रकारों के वेतन की कटौती करना एक प्रकार से उनके साथ अन्याय करने जैसा है।
इसलिए एनयूजे (आई) सरकार से यह मांग करती है कि वह इस प्रकार के वेतन काटने वाले मीडिया संस्थान को निर्देश देते हुए इसे तुरंत रोके और नौकरियों की छटनी नहीं हो। इसकी गारंटी प्रस्तुत करते हुए बीमा लाभ की घोषणा करे।
सादर प्रकाशनार्थ
जारीकर्ता
दिनेश यादव
कार्यालय सचिव
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया)
7, जंतर मंतर, नई दिल्ली