एनयूजे-आई समाचार नई दिल्ली,भोपाल। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) की ओर से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की गई है कि पत्रकारों के वेतमान व अन्य सुविधाओं के लिए वेज बोर्ड का गठन किया जाये। इससे मजिठिया वेज बोर्ड का गठन 2007 में किया गया था। उसकी सिफारिशें भी पूरे तौर पर लागू नहीं की गई। कर्मचािरयों के लिए आठवें वेतन आयोग का गठन करने के निर्णय के बाद पत्रकारों के लिए भी वेज बोर्ड का गठन जरूरी हो गया था।
इस आशय का पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शनिवार को भेजा गया है। इसकी जानकारी देते हुए नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के अध्यक्ष सुरेश शर्मा और महासचिव त्रियुगनारायण तिवारी ने कहा है कि पत्रकारों के वेतनमान और अन्य सुविधाओं के निर्धारण के लिए वेज बोर्ड का गठन सत्रह साल पहले 2007 में किया गया था। उस मजिठिया वेज बोर्ड की आन्तरिम रिपोर्ट 2008 में और अन्तिम रिपोर्ट 2010 में आई थी। केन्द्रीय श्रम विभाग ने उसको 2011 में अधिसूचित किया था। इसका सही से परिपालन नहीं हुआ तो मामला सर्वोच्च न्यायालय तक गया। सर्वोच्च न्यायालय पे सिफारिशों को सही मानते हुए अधिसूचना की तारीख से ही लाभ दिये जाने का आदेश दिया था। लेकिन समाचार इंडस्ट्री ने इस आदेश का पालन नहीं किया। प्रधानमंत्री को यह भी जानकारी पत्र में दी गई है कि राज्यों के श्रम विभाग ने पत्रकारों के पक्ष और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अनदेखी की। इसलिए अधिकांश पत्रकार इस लाभ से वंचित हो गये।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कर्मचारियों के लिए वेतनआयोग के गठन के कैबिनेट निर्णय की सराहना की गई और उन्हें धन्यवाद दिया गया। यह भी उल्लेख किया गया है कि मनमोहन सरकार ने चुनाव से तत्काल पहले सातवें वेतन आयोग का गठन किया था। उनकी अनुसंशाओं का पालन आपकी (मोदी सरकार) ने किया था। इससे यह आशा जागृत होती है कि आप कर्मचारियों के वेतनमान के लिए गंभीर हैं और परिणाम देने की इच्छा रखते हैं। पत्रकार जगत को भी इससे आशा जागृत होती है कि उन्हें वेतनमान मिलेगा और समाचार पत्र उद्योग कोई अन्य रास्ता नहीं अपनायेगा। पत्र की प्रति भी संलग्न है।